RBI Loan Rules: भारतीय रिजर्व बैंक ने गोल्ड लोन से जुड़े नियमों में बड़ा बदलाव किया है। अब सभी लोगों को पहले की तरह आसानी से सोने के बदले लोन नहीं मिलेगा। आरबीआई ने हाल ही में जो नई गाइडलाइन जारी की है, उसके अनुसार अब बैंकों और वित्तीय संस्थानों को कुछ खास शर्तों का पालन करना होगा। इस फैसले का असर खासतौर पर उन लोगों पर पड़ेगा जो बुलियन या सोने की छड़ों के बदले लोन लेने की योजना बना रहे थे।
सिर्फ आभूषण और सिक्के पर मिलेगा लोन
आरबीआई की नई गाइडलाइन के अनुसार अब गोल्ड लोन सिर्फ सोने के आभूषण या बैंक द्वारा स्वीकृत सिक्कों के बदले ही दिया जाएगा। इसका मतलब यह है कि अब बुलियन, सोने की छड़ें या ई-गोल्ड जैसे विकल्प लोन के लिए मान्य नहीं होंगे। इससे साफ है कि अब केवल उन्हीं व्यक्तियों को लोन मिलेगा जिनके पास पारंपरिक सोने के आभूषण या बैंक से अधिकृत सिक्के होंगे। यह नियम विशेष रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर भी लागू होगा।
तमिलनाडु सरकार ने जताई चिंता
गोल्ड लोन नियमों में इस बदलाव पर तमिलनाडु सरकार ने भी चिंता जाहिर की है। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखते हुए कहा कि यह फैसला गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के लिए समस्याएं पैदा कर सकता है। उन्होंने यह आग्रह भी किया है कि ₹2 लाख तक के गोल्ड लोन को इन नए नियमों से छूट दी जाए ताकि आम लोगों को राहत मिल सके। इसके साथ ही नियमों को 1 जनवरी 2026 से लागू करने की सिफारिश की गई है।
मंत्रालय ने मांगी नियमों में ढील
वित्त मंत्रालय की ओर से आरबीआई को सलाह दी गई है कि इन नए निर्देशों को लागू करने से पहले कुछ ढील दी जाए। मंत्रालय चाहता है कि ₹2 लाख तक के गोल्ड लोन को इन नियमों से बाहर रखा जाए ताकि सामान्य वर्ग पर इसका सीधा असर न पड़े। यह भी सुझाव दिया गया है कि नियमों को धीरे-धीरे लागू किया जाए ताकि बैंक और कर्ज लेने वालों दोनों को तैयारी का पर्याप्त समय मिल सके। इससे नीतिगत बदलावों को स्वीकार करना आसान होगा।
बढ़ती सोने की कीमत है बड़ा कारण
आरबीआई ने यह बदलाव ऐसे समय पर किया है जब देश में सोने की कीमत लगातार बढ़ रही है। फिलहाल 24 कैरेट सोने की कीमत लगभग ₹95,760 प्रति 10 ग्राम है, जबकि 22 कैरेट सोना ₹87,780 प्रति 10 ग्राम के करीब बिक रहा है। इस तेजी के कारण गोल्ड लोन लेने की संख्या भी बढ़ी है। कई लोग उच्च मूल्य पर सोना गिरवी रखकर बड़ी रकम लोन में प्राप्त कर रहे हैं, जिससे बैंकिंग सेक्टर पर दबाव बढ़ा है।
एनपीए की संख्या में हो रही वृद्धि
बैंकों और वित्तीय संस्थानों के सामने एक और बड़ी चुनौती यह है कि गोल्ड लोन लौटाने में डिफॉल्ट की घटनाएं बढ़ रही हैं। कई बार कर्जदार लोन समय पर चुका नहीं पाते हैं और ऐसे लोन एनपीए घोषित हो जाते हैं। जब लोन एनपीए में बदलता है तो इससे बैंक का आर्थिक संतुलन बिगड़ता है। इसलिए आरबीआई ने सख्त नियम बनाकर इस स्थिति को नियंत्रित करने की दिशा में कदम उठाया है ताकि भविष्य में जोखिम को कम किया जा सके।
Disclaimer: यह लेख आरबीआई द्वारा जारी दिशानिर्देशों और सार्वजनिक बयानों पर आधारित है। गोल्ड लोन से संबंधित किसी भी निर्णय से पहले बैंक या अधिकृत वित्तीय संस्थान से पूरी जानकारी लेना आवश्यक है। नई नीतियां लागू होने की तिथि या छूट की स्थिति सरकार और आरबीआई के अगले निर्देशों के अधीन हो सकती है।