2025 में नया लेबर कोड लागू – अब हर हफ्ते सिर्फ 4 दिन काम और 3 दिन की स्थायी छुट्टी का तोहफा!

New Labour Code 2025: भारत सरकार ने 2025 की शुरुआत में नया लेबर कोड लागू किया है। इसके तहत अब कंपनियों को यह आज़ादी दी गई है कि वे सप्ताह में चार दिन, रोज़ाना 12 घंटे काम लेकर कुल 48 घंटे का वर्कवीक पूरा कर सकती हैं। इसके बदले कर्मचारियों को तीन दिन लगातार छुट्टी देनी होगी। यह नियम कंपनियों और कर्मचारियों की आपसी सहमति से लागू होगा। यह बदलाव वर्क-लाइफ बैलेंस के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

लेबर कोड के चार हिस्से

नया लेबर कोड चार मुख्य हिस्सों में बांटा गया है – वेज कोड, सोशल सिक्योरिटी कोड, इंडस्ट्रियल रिलेशन्स कोड और ऑक्युपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन कोड। इन कोड्स का मकसद श्रमिकों के हितों की सुरक्षा, समय पर वेतन, बेहतर कार्यस्थल और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इसके माध्यम से श्रमिकों को नए भारत की कार्यसंस्कृति के साथ जोड़ा जा रहा है।

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काम का नया तरीका

इस व्यवस्था के तहत कर्मचारी सप्ताह में चार दिन 12-12 घंटे काम करेंगे जिससे कुल काम के घंटे 48 पूरे हो जाएंगे। इसके बदले में उन्हें तीन दिन की लगातार छुट्टी दी जाएगी। हालांकि, यह व्यवस्था पूरी तरह वैकल्पिक है और कर्मचारियों की सहमति के बिना लागू नहीं की जा सकती। इससे काम और निजी जीवन के बीच बेहतर तालमेल संभव हो सकेगा।

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कर्मचारी की सहमति जरूरी

कोई भी कंपनी यह व्यवस्था तभी लागू कर सकती है जब कर्मचारी इसके लिए तैयार हों। कर्मचारियों को मिलने वाली छुट्टियों में कोई कटौती नहीं होगी और वे पहले की तरह सैलरी के हकदार रहेंगे। कंपनियों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि 12 घंटे की ड्यूटी के बीच सभी श्रम कानूनों के अनुसार ब्रेक और सुविधाएं मिलें।

फायदे क्या होंगे

इस नई व्यवस्था से कर्मचारियों की उत्पादकता में सुधार आएगा क्योंकि तीन दिन की छुट्टी मानसिक और शारीरिक थकावट को कम करेगी। इससे हाजिरी की समस्या घटेगी और कर्मचारी अपने पर्सनल गोल्स जैसे पढ़ाई, ट्रैवल या परिवार को समय दे सकेंगे। यह सिस्टम तनाव को घटाकर बेहतर परफॉर्मेंस में मदद कर सकता है।

असली जीवन में असर

आईटी प्रोफेशनल रवीना शर्मा का कहना है कि अब वह सप्ताह के तीन दिन खुद पर ध्यान दे पाती हैं जिससे उनकी लाइफ क्वालिटी में सुधार हुआ है। वहीं फैक्ट्री कर्मचारी राजेश वर्मा मानते हैं कि शुरुआती कठिनाई के बाद अब यह मॉडल उनके लिए आरामदायक हो गया है। दोनों ही मामलों में वर्क-लाइफ बैलेंस मजबूत हुआ है।

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किन क्षेत्रों में लागू

नया कोड निजी और सरकारी दोनों क्षेत्रों के लिए लागू है लेकिन अनिवार्य नहीं है। आईटी, स्टार्टअप और कॉर्पोरेट कंपनियों में यह तेजी से अपनाया जा रहा है। मैन्युफैक्चरिंग और बैंकिंग जैसे सेक्टर्स में इसे आंशिक रूप से अपनाया गया है जबकि हेल्थकेयर और शिक्षा क्षेत्र में फिलहाल यह विचाराधीन है।

कुछ चुनौतियां भी हैं

हर कर्मचारी के लिए 12 घंटे काम करना आसान नहीं होता। विशेष रूप से फैक्ट्री या फील्ड वर्क में यह थका देने वाला हो सकता है। कुछ सेक्टर्स को अपने शिफ्ट सिस्टम में बड़ा बदलाव करना पड़ेगा। श्रमिक वर्ग के लिए अतिरिक्त सुविधा और सहानुभूति जरूरी होगी ताकि वे इस बदलाव को सहजता से अपना सकें।

सरकार की मंशा क्या है

भारत सरकार का मकसद इंटरनेशनल लेबर स्टैंडर्ड के अनुरूप खुद को स्थापित करना है। इसके अलावा युवाओं को फ्रीलांसिंग, पढ़ाई और स्टार्टअप कल्चर में समय देने का अवसर भी देना है। यह कदम महिला कर्मचारियों और मानसिक स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर भी सकारात्मक प्रभाव डालने की दिशा में उठाया गया है।

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Disclaimer: यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से प्रस्तुत किया गया है। कृपया अपने संस्थान या नियोजक से इस नियम के लागू होने की पुष्टि करें। नियमों में बदलाव संभव है इसलिए हमेशा सरकारी स्रोतों से जानकारी सत्यापित करें।

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