Property Documents: घर खरीदना किसी के जीवन का सबसे अहम फैसला होता है लेकिन भावनाओं में बहकर अगर कोई दस्तावेज नजरअंदाज हो जाए तो यह फैसला भारी नुकसान में बदल सकता है। प्रॉपर्टी से जुड़े मामलों में सबसे अधिक ठगी होती है और इसकी सबसे बड़ी वजह होती है अधूरे या फर्जी दस्तावेज। अगर आप घर खरीदने की योजना बना रहे हैं तो सबसे पहले उससे जुड़े सभी कानूनी कागजात को बारीकी से जांचना जरूरी है जिससे आपका निवेश सुरक्षित रह सके।
RERA प्रमाणपत्र से तय होता है भरोसा
किसी भी निर्माणाधीन प्रोजेक्ट या फ्लैट को खरीदने से पहले यह जांचना जरूरी है कि वह RERA में पंजीकृत है या नहीं। RERA अधिनियम को प्रॉपर्टी सेक्टर में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है। यह प्रमाणपत्र दर्शाता है कि प्रोजेक्ट वैध है और नियमानुसार विकसित हो रहा है। इसके बिना खरीदी गई प्रॉपर्टी भविष्य में विवाद या कानूनी अड़चनों में फंस सकती है, इसलिए यह पहला दस्तावेज होता है जिसे देखना अनिवार्य है।
सेल एग्रीमेंट में जरूर पढ़ें शर्तें
जब आप किसी संपत्ति को खरीदने की प्रक्रिया में होते हैं तो विक्रेता से जो पहला कानूनी दस्तावेज मिलता है, वह सेल एग्रीमेंट होता है। इसमें कब्जे की तारीख से लेकर भुगतान की शर्तें और अन्य कानूनी पहलू लिखे होते हैं। इस दस्तावेज को पढ़ने और समझने में जल्दबाजी न करें क्योंकि यही दस्तावेज किसी भी विवाद की स्थिति में कानूनी आधार बनता है। अगर आप होम लोन के माध्यम से प्रॉपर्टी ले रहे हैं तो बैंक भी यह एग्रीमेंट अनिवार्य रूप से मांगता है।
ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट से जांचें स्वामित्व की स्थिति
यदि कोई फ्लैट या अपार्टमेंट खरीद रहे हैं तो यह जरूर जांचें कि ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट उपलब्ध है या नहीं। यह प्रमाणपत्र यह पुष्टि करता है कि बिल्डिंग का निर्माण तय मानकों के अनुसार हुआ है और प्रशासन ने उसमें रहने की अनुमति दी है। बिना इस सर्टिफिकेट के आप उस घर में वैध रूप से प्रवेश नहीं कर सकते और इससे आगे चलकर पजेशन से जुड़ी दिक्कतें आ सकती हैं।
एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट से पता चलता है विवाद
घर खरीदने से पहले यह जांच लेना बेहद जरूरी होता है कि उस प्रॉपर्टी पर कोई कानूनी या वित्तीय विवाद तो नहीं है। इसके लिए एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट सबसे कारगर दस्तावेज है। यह बताता है कि उस संपत्ति पर किसी बैंक का लोन तो नहीं है या कहीं वह किसी के नाम गिरवी तो नहीं रखी गई है। इस सर्टिफिकेट के जरिए आप तय कर सकते हैं कि प्रॉपर्टी विवादमुक्त है या नहीं और आपका निवेश पूरी तरह सुरक्षित रहेगा।
एनओसी से होता है वैधता का प्रमाण
कई बार संपत्ति पर कोई विभागीय आपत्ति पहले से दर्ज होती है जो बाद में खरीदार के लिए परेशानी का कारण बन जाती है। इससे बचने के लिए संबंधित रजिस्ट्री कार्यालय या विकास प्राधिकरण से एनओसी यानी अनापत्ति प्रमाणपत्र लेना जरूरी होता है। यह दिखाता है कि प्रॉपर्टी को लेकर किसी प्रशासनिक संस्था को कोई आपत्ति नहीं है। इस प्रमाणपत्र के बिना कोई भी डील पूरी तरह वैध नहीं मानी जाती और भविष्य में रजिस्ट्री भी रद्द हो सकती है।
रजिस्ट्री दस्तावेज से तय होता है स्वामित्व
किसी भी प्रॉपर्टी का असली मालिक कौन है, यह जानने का सबसे ठोस आधार होता है उसका रजिस्टर्ड दस्तावेज। जिस प्रॉपर्टी को आप खरीदने जा रहे हैं, उसकी रजिस्ट्री खरीदार के नाम पर होनी चाहिए और इसमें कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। रजिस्ट्री दस्तावेज न केवल स्वामित्व को साबित करता है, बल्कि भविष्य में किसी भी कानूनी कार्यवाही में इसका महत्व सर्वोपरि होता है। इसलिए हमेशा रजिस्ट्री की जांच मूल कॉपी से करें।
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
अगर कोई प्रॉपर्टी बहुत सस्ते दामों पर मिल रही हो तो उसके दस्तावेजों की जांच और भी सावधानी से करनी चाहिए। नकली दस्तावेज या आधे-अधूरे कागज भविष्य में बड़े नुकसान का कारण बन सकते हैं। खरीदारी के समय प्रॉपर्टी की लोकेशन, जमीन का प्रकार, नगर निगम की मंजूरी और टाइटल क्लियरेंस भी जरूर चेक करें। यह सावधानियां आपको धोखाधड़ी से बचा सकती हैं और आपकी मेहनत की कमाई को सुरक्षित रखती हैं।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। प्रॉपर्टी से संबंधित किसी भी दस्तावेज पर निर्णय लेने से पहले किसी कानूनी विशेषज्ञ या रजिस्टर्ड एजेंट से सलाह अवश्य लें। दस्तावेजों से जुड़ी नियमावली समय के अनुसार बदल सकती है। OpenAI इस जानकारी की सटीकता या वैधता की जिम्मेदारी नहीं लेता।