Wife Property Rights: भारतीय कानून में महिलाओं को संपत्ति को लेकर कई अधिकार दिए गए हैं, लेकिन आज भी अधिकतर लोग इस बारे में पूरी जानकारी नहीं रखते। खासकर जब बात पति की खानदानी संपत्ति की होती है तो लोगों को यह समझना मुश्किल होता है कि पत्नी का इस पर कोई हक बनता है या नहीं। यही वजह है कि ऐसे मामलों में अक्सर भ्रम देखा जाता है।
पति की खानदानी संपत्ति में अधिकार
कानून के अनुसार पत्नी को पति की खानदानी संपत्ति में सीधे तौर पर हिस्सा नहीं मिलता, लेकिन पति के माध्यम से इस पर अधिकार की संभावना बनती है। अगर पति की मृत्यु हो जाती है या तलाक की स्थिति होती है तो संपत्ति का बंटवारा कानून के अनुसार किया जाता है। कोर्ट इस बात को ध्यान में रखते हुए फैसला करता है कि पत्नी को रहने का अधिकार या हिस्सा दिया जाए या नहीं।
रजिस्टर्ड प्रॉपर्टी में किसका हक
अगर संपत्ति केवल पति के नाम पर रजिस्टर्ड है तो उस पर पूरा अधिकार पति का माना जाएगा। तलाक होने की स्थिति में पत्नी उस संपत्ति पर दावा नहीं कर सकती जब तक कि वह साबित न कर दे कि उस संपत्ति को खरीदने में उसका आर्थिक योगदान रहा है। केवल तब ही वह उस संपत्ति में हिस्सेदारी मांग सकती है।
साझे में खरीदी गई संपत्ति
अगर पति-पत्नी ने मिलकर किसी संपत्ति को खरीदा है तो उस पर दोनों का समान हक होता है। तलाक की स्थिति में दोनों पक्ष कोर्ट में यह दावा कर सकते हैं कि किसने कितना निवेश किया। जिसके पास जितने पैसे लगाने का सबूत होगा, उसका दावा मजबूत माना जाएगा। इस आधार पर कोर्ट अंतिम निर्णय देता है कि संपत्ति किसके नाम की जाएगी।
सबूतों का महत्त्व
संयुक्त रूप से खरीदी गई संपत्ति में पत्नी को अधिकार पाने के लिए जरूरी है कि उसके पास आर्थिक योगदान के सबूत हों। जैसे बैंक स्टेटमेंट, पेमेंट रसीद या ट्रांजेक्शन डिटेल। बिना सबूत के दावा कमजोर माना जा सकता है और कोर्ट से खारिज भी हो सकता है। इसलिए ऐसी स्थिति में दस्तावेजों को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी होता है।
तलाक के दौरान अधिकार
जब तक कोर्ट तलाक की डिक्री जारी नहीं करता, तब तक पति-पत्नी कानूनी रूप से विवाहित माने जाते हैं। ऐसे में पत्नी को पति की संपत्ति पर कुछ अधिकार बने रहते हैं। अगर पति इस दौरान किसी और महिला के साथ संबंध बनाता है या विवाह करता है तो पहली पत्नी और बच्चों को कानूनी सुरक्षा प्राप्त होती है, और उन्हें संपत्ति में हिस्सा मिल सकता है।
वसीयत का प्रभाव
अगर पति ने अपनी संपत्ति की वसीयत किसी अन्य के नाम कर दी है तो पत्नी को उस संपत्ति में हिस्सा नहीं मिलेगा। लेकिन अगर पति की मृत्यु बिना वसीयत के होती है तो पत्नी को कानूनन बराबर का अधिकार मिलता है। यह नियम पति की स्वयं अर्जित संपत्ति और खानदानी संपत्ति दोनों पर लागू होता है।
पति की संपत्ति में पत्नी का दावा
कानून यह स्पष्ट करता है कि पति की संपत्ति चाहे वह अर्जित हो या खानदानी, उसमें पत्नी को अधिकार तभी मिलेगा जब कोई वसीयत न बनी हो या पति की मृत्यु हो चुकी हो। इसके अलावा अगर कोई संपत्ति पत्नी के नाम पर है तो उस पर पति का कोई हक नहीं माना जाता। ऐसे मामलों में सिर्फ कानूनी दस्तावेज ही हक का निर्धारण करते हैं।
Disclaimer: यह लेख केवल सामान्य कानूनी जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। किसी भी संपत्ति विवाद या कानूनी मामले में अंतिम निर्णय के लिए कृपया योग्य अधिवक्ता या विधिक सलाहकार से संपर्क करें।